20 अक्तूबर 2011

एनजीओ के धंधे के फंडे!

भारत में समाज सेवा के नाम पे चल रहे कई एनजीओ समाज सेवा को ताक में रखकर राजनीति करने में लिप्त हैं. यही नहीं वह अपने फायदे के चक्कर में किसी ख़ास समुदायों /विचारों का समर्थन करते हुए देशा विरोधी हरकते करते हैं. अगर उन्हें किसी तरह रोक लिया जाए तो मानवाधिकार और अभिव्यक्ति की आजादी का हवाला देकर हल्ला मचाते हैं. पेश है देश के ऐसे चंद गद्दार एनजीओ की  असलियत..
हाल ही में मेघा पाटकर और संदीप पांडे ने कश्मीर में सेना के खिलाफ जहर उगलते हुए AFSPA एक्ट को हटाने के लिए नौटंकी शुरू की है. उनका मकसद साफ़ है. देश के लिए कुर्बानी देनेवाली भारतीय सेना को विलेन के रूप बदनाम करो, उसे कश्मीर से हटाओ और वहा बचे हिन्दूजन को क्रूर जेहादी राक्षसों के रहमो-करम पर छोड़ दो...!! और अंतत: कश्मीर को पाकिस्तानी ताकतों हवाले कर दो. कोंग्रेस-कम्युनिस्ट सहित देश के कई सेकुलर भी इसी तरह सेना हटाने की बाते समय-समय पर करते रहते हैं. आप समझ सकते हैं कि वोट बैंक की राजनीति करनेवाले सेकुलर दलों और फईवादी एनजीओ के पीछे कौन है??

1)अग्निवेश ने बाल श्रम पर 10 हजार का सर्वे (फाइलों मे) करके दिल्ली की कॉंग्रेस सरकार से लाखो रुपये कमा लिए हैं। अन्ना आंदोलन के दूसरे चरण के दौरान ईस बात का अखबारो मे भी खुलासा हुआ था।
2) शबनम हाशमी ने गुजरात चुनावो से पहले बकायदा कॉंग्रेस से लाखो रुपये लेकर नरेंद्र मोदी और हिंदुओं के खिलाफ जहरीला अभियायान छेड़ा था।
3) मध्यप्रदेश मे अपने शासन के दौरान DIRTY सिंह ने सरकारी घाटे का हवाला देकर अखबारो को विज्ञापन देना बंद कर दिया था। लेकिन उसे दौरान तीस्ता सेटलवाद की पत्रिका को लाखो के विज्ञापन देकर उसके वारे-न्यारे किए। यह रपट नवभारत टाइम्स मे अरुण दीक्षित ने दी थी। बाद मे यही तीस्ता नरेंद्र मोदी के खिलाफ कॉंग्रेस के लिए बहुत 'काम' आई।
4) अरुणा राय ने राजस्थान मे कई सरकारी अफसरो को ब्लैकमेल किया और पैसा नही देने पर उन्हे आरटीआई के जरिए फंसाया है।
5) मल्लिका साराभाई की दर्पण एकेडेमी ने कॉंग्रेस की मेहरबानी से दिल्ली दूरदर्शन से कई प्रोजेक्ट मोटे दाम पर गटक लिए हैं। यह पार्ट टाइम कबूतर बाजी भी करती हैं।
6) हाल ही मे मुंबई के मिशनरी कॉलेज सेंट जेवीयर्स ने बाकायदा अरुण परेरा और विनायक सेन जैसे नक्सलवादियो को बुलाकर अपने छात्रो मे 'मानवाधिकार' का 'ज्ञान' बांटा। अब सेंट ज़ेवियर के छात्रो पर अरुण परेरा की रिहाई के लिए हस्ताक्षर अभियान चलाने का दबाव बना रहे हैं। (चर्च+नक्सल)।
7) यही नही कराई जैसे संगठनो ने भी नरेन्द्र मोदी के खिलाफ काफी जहर उगला था।
8) पूर्व चुनाव आयुक्त नवीन चावला का जयपुर राजस्थान मे एनजीओ है। जिसमे कई कोंग्रेसी नेताओ ने मोटा 'चन्दा' दिया था। बदले मे चावला ने ईवीएम मशीनों मे गड़बड़ी करकी यूपीए-2 मे अपना योगदान दिया।
9) वर्ल्ड विजन नामक चर्च का एनजीओ बच्चो के नाम पे अकूत चन्दा एकत्र कर रहा है। और धर्माणतरण पर खर्च कर रहा है।
10) कानीमोई और तमिलनाडु के एक फादर व उसके एनजीओ के रिश्ते से तो आप वाकिफ ही हैं। 


इन एनजीओ को सिर्फ गुलाम नबी फ़ाई से ही नही बल्कि चर्च से भी अकूत पैसा मिलता है। एनजीओ-चर्च-कॉंग्रेस-नक्सल का गठजोड़ भयंकर किस्म का है। ये लोग आम दलितो को शेष हिंदुओं के खिलाफ भड़का कर मिशनरियो के लिए धर्माणतरण की जमीन तैयार करते हैं।

इसलिए अपना तो एक ही नियम है कि ऐसे किसी भी देशद्रोही एनजीओ को मदद मत करो। समाज के लिए कुछ करना ही है तो 'सेवा भारती' या संघ प्रेरित किसी एनजीओ को आर्थिक-मानसिक-शारीरिक मदद करो। 

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